अब किसानों को खेतों में पराली जलाने के लिए भारी जुर्माना चुकाना पड़ेगा। सुप्रीम कोर्ट की सख्ती के बाद केंद्र सरकार ने जुर्माने की राशि बढ़ा दी है। एयर क्वालिटी मैनेजमेंट कमीशन के नए नियम-2024 के तहत यह राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र और इसके आसपास के क्षेत्रों में प्रभावी होगा।
इसके तहत, दो एकड़ से कम जमीन वाले किसानों को 5,000 रुपये का पर्यावरण शुल्क देना होगा, जबकि दो एकड़ से अधिक लेकिन पांच एकड़ से कम जमीन वाले किसानों को 10,000 रुपये का जुर्माना भरना होगा। पांच एकड़ से अधिक जमीन वाले किसानों को 30,000 रुपये से अधिक का जुर्माना भरना होगा।
पराली क्यों जलाते हैं किसान?
दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) के विश्लेषण के अनुसार, 1 से 15 नवंबर तक शहर में प्रदूषण चरम पर होता है। इस दौरान पंजाब और हरियाणा में पराली जलाने की समस्या अधिक होती है। धान की कटाई के बाद, किसानों को गेहूं की बुआई के लिए खेत तैयार करना होता है, और मशीनी कटाई के बाद खेत में पड़ी पराली को जलाना मजबूरी बन जाता है। समय की कमी और मजदूरों की कमी इस समस्या का मुख्य कारण हैं, और पराली का कोई बाजार भी नहीं है, जहाँ इसे बेचा जा सके।
अधिकारियों का अनुमान है कि पराली जलाने के दौरान, दिल्ली-एनसीआर और आसपास के क्षेत्रों में प्रदूषण का प्रमुख योगदान होता है, जो प्रधानमंत्री स्तर पर 30 प्रतिशत तक हो सकता है। वरिष्ठ पर्यावरण वैज्ञानिक सुनीता नारायण के अनुसार, सर्दियों में पराली जलाने से दिल्ली-एनसीआर में खराब हवा की गुणवत्ता में योगदान नहीं होता है। इसके बजाय, शहर में वाहनों और उद्योगों द्वारा प्रदूषण मुख्य चिंता का विषय हैं।
चंडीगढ़ की हवा खराब
चंडीगढ़ की हवा भी बहुत खराब हो गई है। शहर का एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) 300 के आंकड़े को पार कर गया है, जो पंजाब और हरियाणा से भी खराब है। पड़ोसी शहर पंचकूला का AQI 256 तक पहुंच गया है। खराब हवा का बच्चों और बुजुर्गों पर बुरा प्रभाव पड़ सकता है।