हरियाणा विधानसभा चुनावों में ‘जलेबी’ चर्चा का विषय बन चुकी थी, लेकिन अब महाराष्ट्र और झारखंड चुनावों के दौरान ‘समोसा’ सुर्खियाँ बटोर रहा है। हिमाचल प्रदेश में सामने आए ताज़ा समोसा विवाद और हरियाणा में इसका रास्ता बनाना एक बार फिर कांग्रेस के नेताओं को विवादों के केंद्र में ला रहा है।
हरियाणा की भाजपा सरकार के ऊर्जा और परिवहन मंत्री अनिल विज ने समोसा विवाद को लेकर हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुखू पर तंज कसा। विज ने टिप्पणी करते हुए कहा, “यह इस बारे में है कि एक मुख्यमंत्री जो समोसा का प्रबंध नहीं कर सकता, वह हिमाचल के लोगों को शासन करने में कैसे सक्षम हो सकता है।”
समोसा विवाद कैसे शुरू हुआ: पिछले महीने हिमाचल प्रदेश के सीआईडी कार्यालय में एक कार्यक्रम हुआ, जिसमें मुख्यमंत्री सुखू ने भाग लिया। इस कार्यक्रम के लिए केक और समोसे मंगवाए गए थे, जो मुख्यमंत्री को परोसे जाने थे। हालांकि, मेनू में आधिकारिक तौर पर उनका उल्लेख नहीं किया गया था, इसलिए वहां मौजूद स्टाफ ने उनकी बजाय पुलिस स्टाफ और अन्य उपस्थित लोगों को समोसा परोस दिए। नतीजतन, सीआईडी प्रमुख एसआर ओझा ने मौखिक रूप से जांच के आदेश दिए।
तीन पन्नों की रिपोर्ट का नतीजा: तीन पन्नों की जांच रिपोर्ट में खुलासा हुआ कि मुख्यमंत्री के लिए बनाए गए समोसे उनके स्टाफ को परोसे गए थे। रिपोर्ट में यह भी संकेत दिया गया कि यह घटना सीआईडी और सरकार के खिलाफ नकारात्मक भावनाएँ दिखाती है। लीक हुई रिपोर्ट के बाद काफी हंगामा हुआ।
वक्फ़ बिल पर अनिल विज की टिप्पणियाँ: इस बीच, ‘आप’ संसद सदस्य संजय सिंह ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर वक्फ़ (सुधार) बिल को जबरदस्ती पास कराने की कोशिश करने का आरोप लगाया। इसके जवाब में विज ने टिप्पणी की कि जब भी कोई बिल पेश किया जाता है, संसद सदस्य लोकसभा में खुले तौर पर वोट देते हैं। उन्होंने सिंह द्वारा यह दावा किए जाने पर सवाल उठाए कि बिल को जबरदस्ती पेश किया जा रहा है, यह बताते हुए कि संसद की कार्यवाही कैमरे पर लाइव की जाती है।