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    पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने आयकर विभाग को फटकार लगाई, बैंक लॉकर से आभूषण जब्त करने पर सवाल उठाए

    पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय ने रिश्तेदारों के नाम पर संपत्ति खरीदने वाले जिला न्यायाधीश की अनिवार्य सेवानिवृत्ति की सजा को बरकरार रखा

    चंडीगढ़, 17 दिसंबर:

    पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने हाल ही में आयकर (आईटी) विभाग को एक लक्ज़री आभूषण कंपनी के बैंक लॉकर से आभूषण जब्त करने और बाद में उसे वापस करने से इनकार करने पर कड़ी फटकार लगाई। यह मामला दिल्लानो लग्ज़ूरियस ज्वेल्स लिमिटेड बनाम उप-निदेशक, आयकर जांच, बठिंडा और अन्य के रूप में दर्ज किया गया।

    न्यायमूर्ति संजीव प्रकाश शर्मा और न्यायमूर्ति संजय वशिष्ठ की खंडपीठ ने कहा कि आयकर अधिनियम की धारा 132(1)(बी)(iii) के तहत स्टॉक-इन-ट्रेड की जब्ती पर प्रतिबंध है। अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि कंपनी के नाम पर पंजीकृत बैंक लॉकर से प्राप्त आभूषण को कंपनी का स्टॉक माना जाना चाहिए, न कि किसी व्यक्तिगत निदेशक की संपत्ति। उन्होंने यह भी चेताया कि अगर ऐसा मान लिया जाए तो इससे कंपनी के स्टॉक पर विवाद उत्पन्न हो सकता है।

    कोर्ट ने आयकर विभाग के 2023 में कंपनी के स्टॉक-इन-ट्रेड के रूप में दर्ज आभूषण जब्त करने को गैरकानूनी, मनमाना और अनुचित बताया। अदालत ने जोर देकर कहा कि आयकर अधिनियम केवल व्यापार में उपयोग होने वाले स्टॉक की सूची बनाने और उसे दर्ज करने की अनुमति देता है, लेकिन उसे जब्त करने का अधिकार नहीं देता।

    यह मामला तब उठा जब दिल्लानो लग्ज़ूरियस ज्वेल्स लिमिटेड, जो आभूषण और अन्य गहनों का व्यापार करती है, ने अपने दिल्ली के पंजाबी बाग स्थित साउथ इंडियन बैंक के लॉकर से जब्त किए गए आभूषणों को वापस पाने के लिए याचिका दायर की। कंपनी ने तर्क दिया कि लॉकर कंपनी के नाम पर थे और उनमें रखा गया सामान कंपनी का स्टॉक था, न कि व्यक्तिगत निदेशकों की संपत्ति।

    आयकर विभाग ने तर्क दिया कि यह तय करना संभव नहीं था कि लॉकर में रखे गए आभूषण कंपनी के स्टॉक का हिस्सा थे या निदेशकों की व्यक्तिगत संपत्ति। अदालत ने इस दलील को खारिज करते हुए कहा कि जब तक विपरीत साबित न हो, लॉकर में रखा सामान कंपनी का माना जाएगा।

    अदालत ने यह कहते हुए दिल्लानो की याचिका को स्वीकार कर लिया और आयकर विभाग को जब्त आभूषण तुरंत लौटाने का निर्देश दिया।

    दिल्लानो लग्ज़ूरियस ज्वेल्स की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता राधिका सूरी और अधिवक्ता अभिनव नारंग व प्रणिका सिंघला ने पैरवी की। आयकर विभाग की ओर से वरिष्ठ स्थायी अधिवक्ता सौरभ कपूर, कनिष्ठ स्थायी अधिवक्ता प्रदी संधू और अधिवक्ता मुस्कान गुप्ता ने पक्ष रखा।

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