पंजाब, 4 मार्च:
राज्य उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग ने चंडीगढ़ के एक डॉक्टर के खिलाफ चिकित्सा लापरवाही की शिकायत को खारिज कर दिया है। आयोग ने स्पष्ट किया कि कोई भी मरीज उपचार की शर्तें डॉक्टर पर थोप नहीं सकता, क्योंकि डॉक्टर चिकित्सा आचार संहिता और मान्य उपचार प्रक्रियाओं के तहत कार्य करते हैं।
यह फैसला नोवेना क्लिनिक के डॉ. दीपक कालिया द्वारा दायर एक अपील पर सुनाया गया। डॉ. कालिया ने जिला उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग, चंडीगढ़ के 7 दिसंबर 2023 के आदेश को चुनौती दी थी, जिसमें उन्हें शिकायतकर्ता को 46,000 रुपये की धनवापसी 9% वार्षिक ब्याज सहित देने का निर्देश दिया गया था। इसके अलावा, उन्हें मानसिक उत्पीड़न के लिए 10,000 रुपये और मुकदमेबाजी खर्च के रूप में 7,500 रुपये देने के लिए भी कहा गया था।
शिकायत एक पंजाब निवासी ने दर्ज कराई थी, जिसने 16 जून 2019 को नोवेना क्लिनिक में ठुड्डी, छाती और पेट की अल्ट्रासोनिक लिपोसक्शन सर्जरी करवाई थी। उसका आरोप था कि ऑपरेशन के बाद उसके शरीर, विशेष रूप से छाती के माप में कोई बदलाव नहीं आया। उसने क्लिनिक पर उसे गुमराह करने, गलत तरीके से बड़ी राशि वसूलने और अनुचित व्यापार प्रथाओं में शामिल होने का आरोप लगाया।
डॉ. कालिया ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि मरीज सर्जरी के बाद केवल दो बार फॉलो-अप के लिए आया था और उसकी रिकवरी सामान्य थी। डॉक्टर ने दावा किया कि पूरी प्रक्रिया सावधानीपूर्वक और चिकित्सा मानकों के अनुसार की गई थी और कोई लापरवाही नहीं बरती गई थी। हालांकि, जिला आयोग ने आंशिक रूप से शिकायतकर्ता के पक्ष में निर्णय दिया, जिसके बाद डॉ. कालिया ने राज्य आयोग में अपील दायर की।
मामले की समीक्षा के बाद, राज्य आयोग ने पाया कि शिकायतकर्ता के पास चिकित्सा लापरवाही या सेवा में किसी भी तरह की कमी का समर्थन करने के लिए ठोस प्रमाण नहीं थे। आयोग ने यह भी कहा कि किसी उपचार से अपेक्षित परिणाम न मिलना अपने आप में चिकित्सा लापरवाही का प्रमाण नहीं हो सकता। इस आधार पर, राज्य आयोग ने जिला आयोग के आदेश को रद्द करते हुए डॉक्टर के खिलाफ शिकायत को खारिज कर दिया।