चंडीगढ़, 11 दिसंबर:
चंडीगढ़ में लाल डोरा के बाहर निर्माण करने वाले लोगों को फिलहाल कोई राहत नहीं मिलेगी। गृह मंत्रालय (एमएचए) ने लोकसभा में स्पष्ट किया है कि पंजाब न्यू कैपिटल (पेरिफेरी) कंट्रोल एक्ट, 1952 में संशोधन करने या लाल डोरा का क्षेत्र बढ़ाने की कोई योजना नहीं है।
सांसद मनीष तिवारी ने लोकसभा में पूछा था कि क्या केंद्र सरकार पंजाब न्यू कैपिटल (पेरिफेरी) कंट्रोल एक्ट, 1952 जैसे कानूनों को मौजूदा शहरी परिस्थितियों के अनुरूप बनाने के लिए संशोधित करने की योजना बना रही है। इसके जवाब में गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने कहा कि ऐसी कोई योजना विचाराधीन नहीं है।
तिवारी ने यह भी पूछा कि 22 गांवों, जो अब चंडीगढ़ नगर निगम के अंतर्गत आते हैं, पर “लाल डोरा” नियम लागू करना कितना उचित है। उन्होंने कहा कि “लाल डोरा” एक ग्रामीण राजस्व अवधारणा थी, जिसका उपयोग गांव में आबादी वाले क्षेत्र और कृषि भूमि के बीच अंतर करने के लिए किया जाता था। उन्होंने यह भी जानना चाहा कि पूरे शहर में समान बुनियादी ढांचे के विकास के लिए क्या कदम उठाए जा रहे हैं और “लाल डोरा” की अवधारणा मास्टर प्लान-2031 की शहरी योजनाओं और उद्देश्यों के साथ कैसे मेल खाती है।
मंत्री ने बताया कि “लाल डोरा” के बाहर का विकास चंडीगढ़ मास्टर प्लान-2031 के तहत नियंत्रित किया जाता है। यह मास्टर प्लान पंजाब न्यू कैपिटल (पेरिफेरी) कंट्रोल एक्ट, 1952 और कैपिटल ऑफ पंजाब (डेवलपमेंट एंड रेगुलेशन) एक्ट, 1952 के तहत अधिसूचित किया गया है। “लाल डोरा” के भीतर निर्माण 2017 के ग्रामीण और आबादी क्षेत्रों के लिए निर्माण उप-नियमों के अनुसार होता है, जबकि “लाल डोरा” के बाहर का निर्माण चंडीगढ़ बिल्डिंग रूल्स (शहरी)-2017 के तहत होता है।
पंजाब न्यू कैपिटल (पेरिफेरी) कंट्रोल एक्ट, 1952 के तहत “लाल डोरा” के बाहर किसी भी प्रकार का निर्माण या पुनर्निर्माण करने के लिए अनुमति लेना अनिवार्य है।
सांसद ने “लाल डोरा” के बाहर पानी और स्वच्छता सुविधाओं को लेकर भी सवाल उठाए, खासकर हाल ही में पानी के कनेक्शन काटे जाने की घटनाओं के संदर्भ में। इस पर मंत्री ने कहा कि चंडीगढ़ वॉटर सप्लाई बाइलॉज, 2011 के तहत नगर निगम केवल “लाल डोरा” या रेड लाइन के भीतर पानी के कनेक्शन जारी कर सकता है। अवैध कनेक्शनों को हटाने की प्रक्रिया नियमित रूप से की जाती है। हालांकि, नगर निगम पूरे शहर में स्वच्छता सेवाएं प्रदान करता है।
यह स्पष्टीकरण मौजूदा कानूनों और “लाल डोरा” की शहरी योजनाओं में भूमिका पर केंद्र सरकार की स्थिति को स्पष्ट करता है।