चंडीगढ़, 9 दिसंबर
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 3 दिसंबर को चंडीगढ़ के पंजाब इंजीनियरिंग कॉलेज (PEC) में आयोजित एक समारोह के दौरान तीन नए आपराधिक कानूनों की समीक्षा की। इन कानूनों- भारतीय न्याय संहिता (Bharatiya Nyaya Sanhita), भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (Bharatiya Nagarik Suraksha Sanhita), और भारतीय साक्ष्य अधिनियम (Bharatiya Sakshya Adhiniyam) के सफल कार्यान्वयन को राष्ट्र को समर्पित किया गया। चंडीगढ़ प्रशासन ने इन कानूनों को प्रभावी ढंग से लागू कर लिया है। इनके तहत पुलिस थानों या अपराध स्थलों पर सबूतों के साथ छेड़छाड़ की संभावना पूरी तरह खत्म कर दी गई है। अब ड्रग्स को घास से या शराब को किसी अन्य तरल पदार्थ से बदलना संभव नहीं होगा। साथ ही, जब्त माल की मात्रा को कम दिखाने जैसी धांधलियां भी रोकी जा सकेंगी।
इन कानूनों को लागू करने के लिए हर कदम पर सख्त निगरानी सुनिश्चित की गई है। जब्ती स्थल, पुलिस थानों के मालखाने और फोरेंसिक लैब तक की हर प्रक्रिया की वीडियो रिकॉर्डिंग अनिवार्य की गई है। केवल अधिकृत व्यक्तियों को ही इन रिकॉर्ड्स तक पहुंचने की अनुमति दी जाएगी, जिससे जब्त सामग्री में छेड़छाड़ असंभव हो जाएगी। प्रत्येक जब्त वस्तु पर एक क्यूआर कोड लगाया जाएगा और इसे जमा करने वाले अधिकारी का नाम और बेल्ट नंबर डिजिटल रूप से दर्ज किया जाएगा। इन जानकारियों की पुष्टि भी अनिवार्य होगी। “न्याय सेतु” ऐप के माध्यम से इन सभी गतिविधियों की वास्तविक समय में निगरानी की जा सकेगी।
चंडीगढ़ पुलिस के डीजीपी एस.एस. यादव ने बताया कि 1 जुलाई से इन कानूनों के लागू होने के बाद 1,179 एफआईआर दर्ज की गई हैं। 245 मामलों में चार्जशीट दाखिल की गई है और 4 मामलों में दोषसिद्धि भी हुई है। पहले सबूतों के साथ छेड़छाड़ की आशंका या आरोप सामान्य बात थी। अब, जब्त सामग्री की वीडियोग्राफी और डिजिटल रिकॉर्डिंग अनिवार्य किए जाने के बाद, ऐसी समस्याओं पर पूरी तरह रोक लग गई है।
जब्त माल पर लगाया गया क्यूआर कोड उसकी ट्रैकिंग की प्रक्रिया को पारदर्शी बनाता है। यह प्रक्रिया फोरेंसिक लैब तक जारी रहती है। पहले पुलिस पर जब्त वस्तुओं में बदलाव करने या उनकी मात्रा घटाने के आरोप लगते थे। अब हर जांच प्रक्रिया डिजिटल निगरानी और कई स्तरों की जांच के तहत की जाएगी, जिससे ऐसी गतिविधियां रोकी जा सकेंगी।
एसएसपी कंवरदीप कौर ने इन कानूनों के व्यावहारिक उपयोग को प्रदर्शित करते हुए एक प्रदर्शनी का आयोजन किया। उन्होंने बताया कि इस लाइव प्रदर्शन के माध्यम से अपराध स्थलों की जांच की नई प्रक्रिया को समझाया गया। प्रधानमंत्री के दृष्टिकोण से प्रेरित इन तीन कानूनों का उद्देश्य औपनिवेशिक कानूनों को हटाकर न्यायिक प्रणाली को न्याय केंद्रित बनाना है। इस पहल का संदेश है- “सुरक्षित समाज, विकसित भारत – दंड से न्याय तक।”
नए कानूनों के तहत, जीरो एफआईआर दर्ज करने की सुविधा दी गई है, जिसे सीसीटीएनएस (Crime and Criminal Tracking Network System) के माध्यम से ऑनलाइन ट्रांसमिट किया जा सकेगा। भाषा की बाधाओं को खत्म करने और अलग-अलग राज्यों में त्वरित कार्रवाई सुनिश्चित करने के लिए भाषिणी ऐप तैयार किया गया है, जो 22 भारतीय भाषाओं में अनुवाद की सुविधा देता है।
पीड़ितों और गवाहों के बयान अब वीडियो रिकॉर्डिंग के माध्यम से दर्ज किए जाएंगे। महिलाओं और बच्चों से संबंधित अपराधों का निपटारा शिकायत मिलने के दो महीने के भीतर करना अनिवार्य होगा। यह प्रदर्शनी पहली बार जनता के सामने पेश की गई, जिसमें जांच से न्याय तक की प्रक्रियाओं की झलक दिखाई गई। इस पहल का मुख्य उद्देश्य आपराधिक मामलों में पारदर्शिता और कुशलता सुनिश्चित करना है।