हिमाचल प्रदेश, 14 फरवरी:
हिमाचल प्रदेश में सामाजिक सुरक्षा पेंशन वितरण में बड़े पैमाने पर गड़बड़ी की आशंका जताई जा रही है। प्रारंभिक जांच में 1,438 पेंशन लाभार्थियों की समीक्षा की गई, जिनमें से 1,141 व्यक्तियों की उम्र 104 से 124 वर्ष के बीच दर्ज पाई गई। इन सभी लाभार्थियों को हर महीने ₹1,700 की पेंशन दी जा रही थी, जो तिमाही आधार पर सीधे उनके डाकघर या बचत बैंक खातों में जमा हो रही थी।
सामाजिक सुरक्षा पेंशन की जांच के दायरे में आए दो लाख लाभार्थी
सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग वर्तमान में प्रदेश में लगभग 8.18 लाख लाभार्थियों को विभिन्न श्रेणियों में सामाजिक सुरक्षा पेंशन प्रदान कर रहा है। हालांकि, अब दो लाख से अधिक लाभार्थियों की पेंशन प्रक्रिया में अनियमितताओं की आशंका के चलते जांच की जा रही है।
पेंशन स्वीकृति की प्रक्रिया
हिमाचल प्रदेश में सामाजिक सुरक्षा पेंशन के लिए आवेदन पत्र साधारण कागज पर तहसील कल्याण अधिकारी को सौंपा जाता है, जिसे जिला कल्याण अधिकारी को भेज दिया जाता है। इसके बाद आवेदन ऑनलाइन पोर्टल पर अपलोड किया जाता है और जिला स्तर की एक समिति द्वारा समीक्षा की जाती है। इस समिति की अध्यक्षता संबंधित जिले के विधायक करते हैं। उदाहरण के लिए, शिमला जिले में यह जिम्मेदारी कांग्रेस विधायक नंदलाल (रामपुर) के पास है। इसी प्रकार, अन्य जिलों में भी समितियां कार्यरत हैं, जो अधिकारियों की रिपोर्ट के आधार पर पेंशन आवेदनों को मंजूरी देती हैं।
अब जब इस योजना में अनियमितताओं के संकेत मिले हैं, तो अधिकारियों को संदेह है कि कई फर्जी लाभार्थी इस योजना का लाभ उठा रहे हैं। विस्तृत जांच के बाद ही यह स्पष्ट होगा कि इसमें कितने लोग शामिल हैं। इस खुलासे के बाद विभाग के कई अधिकारियों और कर्मचारियों पर दबाव बढ़ गया है।
प्रारंभिक जांच में मिली अनियमितताएं
ई-कल्याण पोर्टल की प्रारंभिक जांच में 260 वृद्धावस्था पेंशन और 37 विधवा पेंशन मामलों में गड़बड़ियां पाई गई हैं। कुल 1,438 संदिग्ध मामलों की विस्तृत जांच के लिए सभी जिला कल्याण अधिकारियों को एक सप्ताह के भीतर अपनी रिपोर्ट निदेशालय को सौंपने के निर्देश दिए गए हैं। इसके अलावा, सभी पेंशन दस्तावेजों में से 25% की गहन जांच करने के आदेश जारी किए गए हैं।
– किरण भड़ाना, निदेशक, अनुसूचित जाति, अन्य पिछड़ा वर्ग, अल्पसंख्यक एवं विशेष रूप से सक्षम व्यक्तियों का सशक्तिकरण निदेशालय