चंडीगढ़ / गिदड़बाहा, 19 दिसम्बर:
आज निरंकारी सतगुरु माता सुदीक्षा जी महाराज और निरंकारी राजपिता रमित जी की आशीर्वाद से गिदड़बाहा स्थित संत निरंकारी सत्संग भवन के नए स्थान पर विशाल निरंकारी संत समागम का आयोजन हुआ। इस कार्यक्रम में पंजाब, हरियाणा और राजस्थान से हजारों संगतों ने भाग लिया और आनंद प्राप्त किया।
समागम में प्रवचन देते हुए सतगुरु माता सुदीक्षा जी महाराज ने कहा कि परमात्मा एक है और हर जगह मौजूद है, चाहे उसे किसी भी नाम से पुकारा जाए। इंसानी जीवन का मुख्य उद्देश्य परमात्मा की जानकारी हासिल करना है। ब्रह्मज्ञान प्राप्त कर इस जीवन का लक्ष्य पूरा किया जा सकता है।
सतगुरु माता जी ने बताया कि केवल शरीर के आकार से इंसान नहीं बनता, बल्कि मानवीय गुणों जैसे मिलवर्तन, प्यार, प्रीत, करूणा, निर्मलता और विशालता को अपनाकर ही सच्चे इंसान बन सकते हैं। भले ही भगत के पास सुख-सुविधाएं कम हों, लेकिन वह हमेशा परमात्मा की रजा में संतुष्ट रहता है। हमें जीवन में प्रेम और भक्ति को प्राथमिकता देनी चाहिए। अगर किसी घटना से कोई दुःख हो तो हमें परमात्मा को दोषी नहीं ठहराना चाहिए, बल्कि उसकी रजा मानकर जीवन को स्वीकार करना चाहिए।
उदाहरण देते हुए सतगुरु माता जी ने कहा कि जैसे खीर में एक काले बाल के कारण पूरा ध्यान उस पर जाता है और बाकी खीर को नजरअंदाज कर दिया जाता है, उसी तरह हमें जीवन में जो हालात मिले हैं, चाहे वे अच्छे न हों, उन्हें भी परमात्मा की रजा मानकर स्वीकार करना चाहिए।
इस मौके पर जोनल इंचार्ज फिरोजपुर, एन.एस. गिल और गिदड़बाहा ब्रांच के मुखी दलबीर सिंह ने संगत की तरफ से सतगुरु माता सुदीक्षा जी महाराज और राजपिता रमित जी का स्वागत किया। श्री मुक्तसर साहिब के क्षेत्रीय संचालक राजिंदर अरोड़ा ने समागम की सफलता में योगदान देने वाले सभी स्थानीय संयोजकों, मुखीयों, सेवादल के अधिकारियों और विभिन्न धार्मिक, सामाजिक, व्यापारिक, और राजनीतिक संस्थाओं के गणमान्य व्यक्तियों का धन्यवाद किया। उन्होंने नगर कौंसल गिदड़बाहा, जिला प्रशासन, पुलिस प्रशासन और अन्य सहयोगियों का भी आभार व्यक्त किया।