चंडीगढ़, 14 दिसंबर:
पूर्व सैन्य अधिकारियों ने सेना के रैंक, पदों और प्रोटोकॉल के प्रति घटती सम्मान की भावना पर गंभीर चिंता व्यक्त की है। उन्होंने वन रैंक वन पेंशन (OROP), अग्निवीर और शॉर्ट सर्विस कमीशन जैसी नीतियों को इसके लिए जिम्मेदार ठहराया। उनका कहना है कि ये मुद्दे युवाओं को सेना में शामिल होने से हतोत्साहित कर रहे हैं और राजनीतिक रणनीतियों के कारण सेना की गरिमा को ठेस पहुंच रही है।
मुख्य मांगे:
- सैन्य रैंकों के महत्व को घटने से रोका जाए।
- सार्वभौमिक OROP लागू किया जाए।
- तीन-स्तरीय प्रणाली स्थापित की जाए।
- शॉर्ट सर्विस कमीशन की अवधि को सुधारा जाए।
- सशस्त्र बलों के लिए अलग वेतन आयोग बनाया जाए।
- एक्स-सर्विसमेन वेलफेयर एक्ट लागू किया जाए।
चंडीगढ़ प्रेस क्लब में आयोजित एक सेमिनार में उत्तर भारत के 60 पूर्व सैन्य अधिकारी एकत्रित हुए और अपनी चिंताओं को व्यक्त किया। उन्होंने राजनीतिक रणनीतियों पर तीखी आलोचना की, जो सेना की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचा रही हैं, और त्वरित सुधार की मांग की। सेमिनार के निष्कर्षों को प्रधानमंत्री, रक्षा मंत्री और राष्ट्रपति को लाइव ट्वीट के माध्यम से साझा किया गया।
प्रमुख वक्ताओं में कर्नल टीबीएस बेदी, फ्लाइट लेफ्टिनेंट रेनू लांबा, लेफ्टिनेंट कर्नल जीपीएस विर्क, कर्नल सचदेवा और कैप्टन रमेश भारद्वाज शामिल थे।