उत्तराखंड, 27 जनवरी:
उत्तराखंड ने आधिकारिक रूप से समान नागरिक संहिता (यूसीसी) लागू करके देश का पहला राज्य बनने का गौरव हासिल किया है। इस महत्वपूर्ण निर्णय की घोषणा देहरादून में एक कार्यक्रम के दौरान की गई, जहां मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने यूसीसी पोर्टल, नियम और गजट अधिसूचना जारी की।
मुख्यमंत्री ने बताया कि यह कानून समाज में समानता और एकरूपता सुनिश्चित करते हुए सभी नागरिकों को समान अधिकार और कर्तव्य प्रदान करेगा। यूसीसी अधिनियम को 12 मार्च 2024 को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु की मंजूरी के बाद अधिसूचित किया गया था।
हालांकि, विपक्षी दलों, खासकर कांग्रेस ने इस कदम की आलोचना की है। उन्होंने इसे बिना व्यापक सहमति के एक प्रायोगिक पहल करार दिया। कांग्रेस प्रवक्ता अभिषेक सिंघवी ने राज्य विशेष कानून की वैधता पर सवाल उठाए।
क्या है समान नागरिक संहिता?
समान नागरिक संहिता (यूसीसी) एक ऐसा कानून है जो विवाह, तलाक, संपत्ति, गोद लेने और भरण-पोषण जैसे मामलों में सभी समुदायों पर समान रूप से लागू होगा। भारत में जहां एक समान आपराधिक संहिता है, वहीं नागरिक कानून धर्मों के आधार पर अलग-अलग हैं।
उत्तराखंड में लागू इस कानून में अनुसूचित जनजातियों और कुछ संवैधानिक प्रावधानों के तहत संरक्षित समुदायों को इसके दायरे से बाहर रखा गया है। साथ ही, मुस्लिम पर्सनल लॉ की प्रथाएं जैसे हलाला, इद्दत और तलाक पर पूरी तरह प्रतिबंध लगा दिया गया है।
इस अधिनियम में 392 धाराएं और सात अनुसूचियां शामिल हैं। इसका 750 पन्नों का विस्तृत मसौदा पांच सदस्यीय विशेषज्ञ समिति द्वारा तैयार किया गया था, जिसकी अध्यक्षता रिटायर्ड जस्टिस रंजना प्रकाश देसाई ने की थी। फरवरी 2024 में तैयार मसौदे को राज्य मंत्रिमंडल से मंजूरी मिली और विभिन्न विधायी प्रक्रियाओं के बाद राष्ट्रपति की स्वीकृति प्राप्त हुई।
उत्तराखंड में यूसीसी की प्रमुख बातें
यूसीसी अधिनियम में वैवाहिक स्थिति, व्यक्तिगत अधिकारों और सामाजिक समरसता से जुड़े कानूनी प्रावधानों को स्पष्ट किया गया है। यह वसीयत और सहायक दस्तावेजों (कोडिसिल) के निर्माण और निरस्तीकरण के लिए एकीकृत ढांचा प्रदान करता है।
यह अधिनियम उत्तराखंड के सभी निवासियों पर लागू होता है, चाहे वे राज्य के बाहर ही क्यों न रहते हों। हालांकि, अनुसूचित जनजातियों और कुछ संरक्षित समुदायों को इसके दायरे से बाहर रखा गया है।
विवाह से जुड़े प्रावधान
यूसीसी में विवाह और उससे जुड़े कानूनी प्रावधानों को सरल और सुव्यवस्थित करने के लिए कुछ नियम तय किए गए हैं:
- विवाह तभी मान्य होगा जब दोनों पक्षों में से किसी का भी जीवित जीवनसाथी न हो, दोनों मानसिक रूप से सक्षम हों, पुरुष की आयु कम से कम 21 वर्ष और महिला की 18 वर्ष हो।
- धार्मिक रीति-रिवाजों या कानूनी प्रावधानों के तहत विवाह समारोह आयोजित किया जा सकता है, लेकिन विवाह के बाद 60 दिनों के भीतर इसका पंजीकरण अनिवार्य है।
- विवाह पंजीकरण के आवेदन को 15 दिनों के भीतर सब-रजिस्ट्रार द्वारा निपटाना होगा। यदि तय समय में निर्णय नहीं लिया गया तो आवेदन स्वतः रजिस्ट्रार के पास भेज दिया जाएगा।
चुनावी वादा पूरा हुआ
उत्तराखंड में यूसीसी लागू करना 2022 विधानसभा चुनावों के दौरान बीजेपी का एक बड़ा चुनावी वादा था। लगातार दूसरी बार सत्ता में लौटने के बाद पार्टी ने इस वादे को पूरा किया, जिससे उत्तराखंड समान नागरिक संहिता लागू करने वाला देश का पहला राज्य बन गया।