पंजाब, 5 फरवरी:
पंजाब के किसानों पर भारी कर्ज का बोझ लगातार बढ़ता जा रहा है, जिससे उनका वित्तीय स्थिति बेहद कठिन हो गई है। हाल ही में, वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने लोकसभा में भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की एक रिपोर्ट पेश की, जिसमें किसानों पर कर्ज के आंकड़े दिए गए हैं। यह रिपोर्ट व्यापारिक बैंक, क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक और सहकारी बैंकों के कर्ज की स्थिति पर आधारित है।
रिपोर्ट के अनुसार, पंजाब के 38.37 लाख किसान करीब ₹1.04 लाख करोड़ के कर्ज तले दबे हुए हैं। ये किसान अपनी वित्तीय कठिनाइयों के कारण यह कर्ज चुकाने में असमर्थ हैं। खास बात यह है कि व्यावसायिक बैंकों का कर्ज चुकाने में पंजाब के किसान, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश और जम्मू-कश्मीर के किसानों से पीछे हैं।
व्यावसायिक बैंकों का कर्ज पंजाब के 23.28 लाख किसानों पर ₹85,460 करोड़ है, जबकि हरियाणा के 22.23 लाख किसानों पर ₹71,886 करोड़, हिमाचल प्रदेश के 4.04 लाख किसानों पर ₹8,034 करोड़ और जम्मू-कश्मीर के 9.29 लाख किसानों पर ₹16,481 करोड़ का कर्ज है। इसके अतिरिक्त, सहकारी और क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों का भी पंजाब के किसानों पर भारी कर्ज है।
पंजाब के 11.94 लाख किसानों पर सहकारी बैंकों का ₹10,021 करोड़ का कर्ज है, जबकि हरियाणा के 13.58 लाख किसानों पर ₹14,354 करोड़ का कर्ज है। इसी प्रकार, पंजाब के 3.15 लाख किसानों पर क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों का ₹8,583 करोड़ का कर्ज खड़ा है, जिसे चुकाने में उन्हें कठिनाई हो रही है। हरियाणा के 4.14 लाख किसान क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों के ₹10,615 करोड़ के कर्ज में दबे हुए हैं।
केंद्र सरकार से कर्ज माफी में कोई खास राहत न मिलने के कारण अब किसानों की उम्मीदें राज्य सरकार पर टिकी हुई हैं। केंद्र ने इस बजट में किसानों के कर्ज माफी की कोई महत्वपूर्ण घोषणा नहीं की है। अब पंजाब के किसानों को आशा है कि राज्य सरकार आगामी बजट में उनके कर्ज को कुछ कम कर सकती है।
किसान मजदूर मोर्चा के संयोजक, सरवण सिंह पंधेर का कहना है, “अगर कृषि इतनी लाभकारी होती तो किसान पिछले एक साल से बॉर्डर पर नहीं बैठे होते। राज्य के आधे से ज्यादा किसान कर्ज के बोझ तले दबे हुए हैं और यह लगातार बढ़ता जा रहा है।”