चंडीगढ़, 20 जनवरी:
पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट ने चंडीगढ़ स्थित पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल एजुकेशन एंड रिसर्च (PGIMER) को ‘गरीब मरीज कल्याण कोष’ (Poor Patient Welfare Fund – PPWF) की जानकारी बढ़ाने के लिए अस्पताल परिसर में प्रमुख स्थानों पर साइन बोर्ड लगाने के निर्देश दिए हैं।
कोर्ट ने पाया कि PGIMER में मरीजों की भारी संख्या और जानकारी के अभाव के कारण कई गरीब मरीज इस कोष का लाभ नहीं उठा पाते हैं।
मुख्य न्यायाधीश शील नागू और न्यायमूर्ति सुधीर सिंह की पीठ ने PGIMER के मेडिकल सुपरिटेंडेंट को निर्देश दिया कि अस्पताल के भवनों, लिफ्टों, गलियारों, सड़कों, स्वागत काउंटर, ओपीडी आदि सभी प्रमुख स्थानों पर स्पष्ट साइन बोर्ड लगाए जाएं। इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि गरीब मरीजों को इस कोष की जानकारी मिल सके और वे इसका लाभ उठा सकें।
यह निर्देश एक जनहित याचिका (PIL) पर सुनवाई के दौरान दिए गए, जिसे एक विधि छात्र ने दायर किया था। याचिका में एक गरीब मरीज, रविंद्र कुमार की दुर्दशा पर प्रकाश डाला गया, जो हृदय संबंधी समस्याओं से पीड़ित हैं। वह एक मजदूर हैं, जिन्हें कई साल पहले ऑटोमेटेड इम्प्लांटेबल कार्डियोवर्टर डिफिब्रिलेटर (AICD) लगाया गया था। खराब स्वास्थ्य के कारण उन्होंने अपनी नौकरी गंवा दी, और AICD की बैटरी, जिसकी कीमत ₹3 लाख थी, खत्म हो गई। याचिका में बताया गया कि मरीज मदद के लिए अधिकारियों या दानदाताओं से संपर्क नहीं कर पा रहे थे।
हाई कोर्ट के हस्तक्षेप के बाद दिसंबर 2024 में AICD बैटरी गरीब मरीज कल्याण कोष से खरीदी गई और सफलतापूर्वक लगाई गई।
PGIMER के मेडिकल सुपरिटेंडेंट द्वारा दाखिल एक हलफनामे में बताया गया कि 1 अप्रैल 2024 से दिसंबर 2024 तक PPWF के तहत आवंटित ₹3,73,94,385 में से ₹3,50,86,171 खर्च किए गए।
कोर्ट ने कहा कि मरीजों को इस सुविधा की जानकारी नहीं होने के कारण वे इसका लाभ नहीं ले पा रहे हैं। इसके मद्देनजर, कोर्ट ने निर्देश दिया कि PPWF का लाभ उठाने की प्रक्रिया को सरल बनाया जाए और मेडिकल सुपरिटेंडेंट चार हफ्तों के भीतर इस संबंध में एक अनुपालन रिपोर्ट दाखिल करें।