हरियाणा, 7 जनवरी:
पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने अनुकंपा नियुक्ति से जुड़े एक अहम फैसले में निर्देश दिया है कि पति की मौत के बाद नौकरी पाने वाली महिला को अपनी सास की आर्थिक मदद करनी होगी। जस्टिस हरप्रीत सिंह बराड़ ने कहा कि भले ही CrPC की धारा 125 के तहत बहू पर सास की देखभाल की सीधी जिम्मेदारी नहीं डाली जा सकती, लेकिन न्याय के लिए इसे अपवाद के रूप में लागू किया जा सकता है। कोर्ट ने महिला को अपनी सास को ₹10,000 प्रति माह गुजारा भत्ता देने का आदेश दिया है।
मामले की पृष्ठभूमि
यह मामला 2002 का है, जब याचिकाकर्ता महिला के पति का निधन हो गया था। 2005 में महिला को अनुकंपा के आधार पर रेल कोच फैक्ट्री में जूनियर क्लर्क के पद पर नौकरी मिली। नौकरी पाने के बाद महिला अपने बेटे के साथ ससुराल छोड़कर चली गई और अपनी सास को अकेला छोड़ दिया।
महिला की सास, जो आर्थिक तंगी से जूझ रही थीं, ने परिवार अदालत का दरवाजा खटखटाया। उन्होंने बताया कि उनकी बेटी की शादी हो चुकी है और उनका बेटा, जो रिक्शा चलाता है, अपनी आय का अधिकांश हिस्सा बीमार भाई की देखभाल पर खर्च करता है। ऐसे में उन्होंने अपनी बहू से गुजारा भत्ता की मांग की।
कोर्ट का फैसला
2024 में हाईकोर्ट ने सास के पक्ष में फैसला सुनाया। सुनवाई के दौरान बहू ने तर्क दिया कि सास की देखभाल की जिम्मेदारी परिवार के अन्य सदस्यों पर भी होनी चाहिए। लेकिन कोर्ट ने पाया कि 2005 में नौकरी स्वीकार करते समय महिला ने यह वादा किया था कि वह अपने पति के परिवार का ख्याल रखेंगी। ससुराल छोड़ने से यह वादा टूट गया।
जस्टिस बराड़ ने कहा कि CrPC की धारा 125 का उद्देश्य आर्थिक रूप से जरूरतमंद लोगों की मदद करना है। ऐसे मामलों में इसे न्यायसंगत ढंग से लागू करना जरूरी है। कोर्ट ने यह भी बताया कि महिला की मासिक आय लगभग ₹80,000 है, जिससे वह ₹10,000 का गुजारा भत्ता देने में सक्षम है।
यह फैसला अनुकंपा नियुक्ति से जुड़े दायित्वों को स्पष्ट करता है और समान मामलों के लिए एक मिसाल कायम करता है।