चंडीगढ़, 11 फरवरी:
पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने एक व्यक्ति की जमानत याचिका खारिज कर दी, जिस पर दीवारों पर खालिस्तान समर्थक नारे लिखने और सोशल मीडिया पर भड़काऊ वीडियो साझा करने का आरोप है। अदालत ने कहा कि खालिस्तान आंदोलन का दोबारा उभरना देश की संप्रभुता के लिए खतरा बन सकता है।
यह याचिका जालंधर निवासी रमन ने दाखिल की थी। उसने तर्क दिया कि उसे 7 सितंबर 2022 को गिरफ्तार किया गया था, चार्जशीट 12 मई 2023 को दाखिल हुई, और 14 अगस्त 2024 को आरोप तय किए गए। काफी समय बीतने के बावजूद, मुकदमे की कार्यवाही पूरी नहीं हुई है और अभियोजन पक्ष के किसी भी गवाह से अब तक पूछताछ नहीं की गई है। याचिकाकर्ता के वकील ने दावा किया कि एफआईआर में रमन का नाम नहीं था और उसके पास से ऐसा कोई सबूत नहीं मिला, जो उसे सीधे इन अपराधों से जोड़े।
वहीं, सरकारी वकील ने जमानत का विरोध करते हुए कहा कि आरोपी ने राष्ट्रविरोधी और भड़काऊ सामग्री वाला एक वीडियो प्रसारित किया था, जिसे सोशल मीडिया पर वायरल किया गया। इस वीडियो से पंजाब में कानून-व्यवस्था बिगड़ने की आशंका थी।
हाईकोर्ट ने इस मामले को गंभीर मानते हुए कहा कि आरोपी पर लगाए गए आरोप—खालिस्तान समर्थक नारे लिखना और भड़काऊ वीडियो फैलाना—कानूनी रूप से संगीन अपराध हैं। यदि यह आरोप सिद्ध होते हैं, तो ये न केवल हिंसा भड़का सकते हैं, बल्कि सांप्रदायिक तनाव को बढ़ावा देकर सामाजिक सौहार्द को भी नुकसान पहुंचा सकते हैं।
अदालत ने यह भी बताया कि आरोपी के खिलाफ पंजाब और हिमाचल प्रदेश में इसी तरह के आरोपों को लेकर कई एफआईआर दर्ज हैं। हालांकि अदालत ने स्वीकार किया कि मुकदमे में देरी हुई है, लेकिन इसे आरोपी के खिलाफ लगाए गए गंभीर आरोपों को हल्का करने का आधार नहीं माना जा सकता। राष्ट्रीय सुरक्षा और संप्रभुता को देखते हुए, हाईकोर्ट ने जमानत याचिका खारिज कर दी।