चंडीगढ़, 20 फरवरी:
पति-पत्नी के बीच विवाद अक्सर तलाक तक पहुंच जाते हैं, और ऐसे मामले दुनियाभर की अदालतों में सुने जाते हैं। लेकिन चंडीगढ़ जिला अदालत में एक अनोखा मामला सामने आया, जहां एक अमेरिकी अदालत के तलाक के फैसले को अमान्य कर दिया गया।
ऐतिहासिक फैसला
चंडीगढ़ जिला अदालत के सिविल जज कौशल कुमार यादव ने एक महत्वपूर्ण निर्णय सुनाते हुए कैलिफोर्निया की सुपीरियर कोर्ट द्वारा पांच साल पहले दिए गए तलाक के फैसले को भारत में अवैध करार दिया।
मामले की पृष्ठभूमि
चंडीगढ़ की एक युवती की शादी हरियाणा के यमुनानगर के युवक से हुई थी। लेकिन शादी के सिर्फ साढ़े तीन महीने बाद ही पति ने तलाक के लिए आवेदन कर दिया—वह भी भारत में नहीं, बल्कि अमेरिका की एक अदालत में। युवती ने इस फैसले का विरोध किया, लेकिन कैलिफोर्निया की अदालत ने उसकी आपत्तियों को नजरअंदाज करते हुए तलाक की मंजूरी दे दी। इसके बाद, युवती ने हार नहीं मानी और अपने वकील, एडवोकेट जी.एस. कौशल के माध्यम से चंडीगढ़ की अदालत में इस फैसले को चुनौती दी।
हिंदू विवाह अधिनियम का उल्लंघन
एडवोकेट कौशल ने तर्क दिया कि भारत के सर्वोच्च न्यायालय के अनुसार, किसी भी विदेशी अदालत द्वारा दिया गया तलाक का फैसला तभी मान्य होगा जब वह हिंदू विवाह अधिनियम, 1955 के अनुरूप हो। इस मामले में, अमेरिकी अदालत ने महज साढ़े तीन महीने की शादी के बाद तलाक की अर्जी को मंजूर कर लिया, जबकि हिंदू विवाह अधिनियम की धारा 14 के तहत शादी के पहले वर्ष में तलाक का मामला दर्ज नहीं किया जा सकता। चूंकि कैलिफोर्निया अदालत का फैसला भारतीय कानून के अनुरूप नहीं था, इसलिए इसे भारत में मान्यता नहीं दी गई। इसके अलावा, पति अदालत में अपनी सफाई देने के लिए भी पेश नहीं हुआ, जिससे अदालत ने उसके खिलाफ फैसला सुनाया।
मामले का समयक्रम
युवक और युवती की शादी 28 मई 2019 को यमुनानगर में हुई थी और 13 जून 2019 को हिंदू विवाह अधिनियम के तहत उनकी शादी पंजीकृत की गई थी। वे कुछ समय तक यमुनानगर में रहे और फिर हनीमून के लिए केरल गए। लेकिन अमेरिका पहुंचने के बाद, पति ने पत्नी को अकेला छोड़ दिया और फिर कैलिफोर्निया की अदालत में तलाक की अर्जी दाखिल कर दी। 10 जुलाई 2019 को युवती को अमेरिकी अदालत से समन मिला। उसने अपने वकील के जरिए इस फैसले का विरोध किया और कहा कि उनकी शादी भारतीय कानून के तहत हुई है और अमेरिकी अदालत का इस पर अधिकार क्षेत्र नहीं है। बावजूद इसके, अमेरिकी अदालत ने पति के पक्ष में फैसला सुना दिया।
कानूनी जिम्मेदारियों से बचने की कोशिश
एडवोकेट कौशल ने बताया कि युवती ने चंडीगढ़ के महिला पुलिस थाने में अपने पति के खिलाफ घरेलू हिंसा की शिकायत दर्ज करवाई थी। इस शिकायत पर पुलिस ने पति के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 406 और 498A के तहत एफआईआर दर्ज कर ली थी। लेकिन पति अदालत में पेश नहीं हो रहा था, जिससे उसे भगोड़ा घोषित करने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई थी।
अब भारत में मान्य नहीं होगा तलाक
वकील के अनुसार, पति ने कानूनी दायित्वों से बचने के लिए अमेरिकी अदालत से तलाक ले लिया था, लेकिन अब चंडीगढ़ जिला अदालत के इस फैसले के बाद, अमेरिका में दिया गया तलाक भारत में मान्य नहीं होगा। इस फैसले ने भारतीय विवाह कानूनों को मजबूत किया है और यह दिखाया है कि विदेशी अदालतों के फैसले भारतीय कानून से ऊपर नहीं हो सकते।