चंडीगढ़, 25 फरवरी:
पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने चंडीगढ़ के प्राचीन शिव मंदिर के मुख्य द्वार को अस्थायी रूप से खोलने का आदेश दिया है, जिससे भक्त महा शिवरात्रि के अवसर पर 26 फरवरी को दर्शन कर सकें और 2 मार्च को आयोजित होने वाली लंगर सेवा में शामिल हो सकें। कोर्ट के आदेशानुसार, 2 मार्च के बाद मंदिर के द्वार दोबारा सील कर दिए जाएंगे।
बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं के आने की संभावना को देखते हुए, अदालत ने सैन्य पुलिस की निगरानी में भीड़ प्रबंधन के निर्देश दिए हैं। यह आदेश न्यायमूर्ति सुरेश्वर ठाकुर और न्यायमूर्ति विकास सूरी की पीठ ने जारी किया, जिन्होंने मंदिर के देवता भगवान शिव की ओर से अधिवक्ता दिनेश कुमार मल्होत्रा और साक्षम मल्होत्रा द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई की।
याचिकाकर्ताओं ने दलील दी कि मंदिर के गेट बंद रहने से महा शिवरात्रि के दौरान भगदड़ जैसी घटनाओं की आशंका बढ़ सकती है। वहीं, चंडीगढ़ प्रशासन ने अदालत को सूचित किया कि मंदिर परिसर को सार्वजनिक परिसर (अनधिकृत कब्जाधारियों की बेदखली) अधिनियम, 1971 के तहत बेदखली आदेश के अनुसार अपने नियंत्रण में लिया गया है।
अदालत ने बेदखली आदेश की वैधता या मंदिर प्रबंधन समिति के अधिकारों पर कोई टिप्पणी नहीं की, बल्कि यह स्पष्ट किया कि यह फैसला केवल भक्तों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए लिया गया है।
प्राचीन शिव मंदिर की सीलिंग को लेकर लंबे समय से विवाद बना हुआ है, जिसे भक्तों और मंदिर प्रशासन दोनों ने चुनौती दी है। अदालत का यह निर्णय भक्तों को महा शिवरात्रि के अवसर पर अस्थायी राहत प्रदान करता है, हालांकि मंदिर की कानूनी स्थिति को लेकर विवाद अब भी जारी है।
चंडीगढ़ प्रशासन का कहना है कि बेदखली आदेश कानूनी रूप से उचित है, जबकि याचिकाकर्ताओं का दावा है कि मंदिर तक पहुंच को प्रतिबंधित करना धार्मिक अधिकारों का उल्लंघन है।