नई दिल्ली, 18 फरवरी:
वरिष्ठ चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार को नया मुख्य चुनाव आयुक्त (CEC) नियुक्त किया गया है। यह नियुक्ति उस परंपरा के तहत हुई है जिसमें सबसे वरिष्ठ चुनाव आयुक्त को मुख्य चुनाव आयुक्त बनाया जाता है। हालांकि, यह पहली बार हुआ है कि इस परंपरा को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी की अध्यक्षता वाली चयन समिति की मंजूरी से लागू किया गया।
इसके अलावा, हरियाणा के मुख्य सचिव विवेक जोशी, जो 1989 बैच के आईएएस अधिकारी हैं, को चुनाव आयुक्त नियुक्त किया गया है। उनकी नियुक्ति से चुनाव आयोग एक बार फिर तीन सदस्यीय निकाय के रूप में कार्य करेगा। यह नियुक्ति राजीव कुमार के सेवानिवृत्त होने के बाद की गई है।
अनुभव और पृष्ठभूमि
विवेक जोशी ने केंद्र और राज्य सरकारों में कई महत्वपूर्ण पदों पर कार्य किया है। वह पहले कार्मिक सचिव और भारत के रजिस्ट्रार जनरल एवं जनगणना आयुक्त रह चुके हैं। जनगणना आयुक्त के रूप में, उन्हें 2021 की जनगणना आयोजित करनी थी, लेकिन कोविड-19 महामारी के कारण इसे स्थगित करना पड़ा।
वहीं, ज्ञानेश कुमार, जो कि 1988 बैच के केरल कैडर के आईएएस अधिकारी हैं, उन्होंने भी राज्य और केंद्र सरकारों में कई अहम पदों पर काम किया है। वह जनवरी 2023 में सहकारिता मंत्रालय के सचिव के रूप में सेवानिवृत्त हुए थे। इसके अलावा, वह गृह मंत्रालय में जम्मू-कश्मीर डिवीजन के अतिरिक्त सचिव के रूप में कार्यरत थे, जब वहां से अनुच्छेद 370 को हटाया गया था।
कार्यकाल और भविष्य की भूमिका
वरिष्ठता के आधार पर, विवेक जोशी 27 जनवरी 2029 को ज्ञानेश कुमार के सेवानिवृत्त होने के बाद मुख्य चुनाव आयुक्त बन सकते हैं। वहीं, चुनाव आयुक्त सुखबीर सिंह संधू का कार्यकाल 6 जुलाई 2028 को समाप्त हो जाएगा।
विवेक जोशी अभी 58 वर्ष के हैं और उनका कार्यकाल फरवरी 2030 तक रहेगा। इस दौरान, वह 2029 के लोकसभा चुनावों के साथ-साथ विभिन्न राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के चुनावों की निगरानी करेंगे।
जनगणना आयुक्त के रूप में उनके अनुभव को आगामी परिसीमन प्रक्रिया में महत्वपूर्ण माना जा रहा है, जो 2026 के बाद होने वाली जनगणना पर आधारित होगी। परिसीमन आयोग में मुख्य चुनाव आयुक्त या उनके नामित व्यक्ति को पदेन सदस्य बनाया जाता है, जिससे उनकी भूमिका और अधिक महत्वपूर्ण हो जाएगी।
चयन समिति और सुप्रीम कोर्ट में चुनौती
चयन समिति की बैठक के दौरान, विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने असहमति पत्र (डिसेंट नोट) पेश किया। उन्होंने सरकार से अनुरोध किया कि 19 फरवरी तक इंतजार किया जाए, क्योंकि उस दिन सुप्रीम कोर्ट में चयन समिति की संरचना को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई होनी है। हालांकि, इस अनुरोध को स्वीकार नहीं किया गया।
यह पहली बार है जब मुख्य चुनाव आयुक्त की नियुक्ति मुख्य चुनाव आयुक्त एवं अन्य चुनाव आयुक्त (नियुक्ति, सेवा शर्तें और कार्यकाल) अधिनियम, 2023 के तहत हुई है।
ज्ञानेश कुमार और सुखबीर सिंह संधू को भी मार्च 2023 में इसी कानून के तहत चुनाव आयुक्त नियुक्त किया गया था। यह कानून सुप्रीम कोर्ट के मार्च 2023 के आदेश के बाद बनाया गया, जिसमें सरकार को निर्देश दिया गया था कि जब तक संसद इस पर कानून नहीं बनाती, तब तक प्रधानमंत्री, भारत के मुख्य न्यायाधीश और लोकसभा में विपक्ष के नेता की समिति नियुक्तियों का निर्णय करेगी।
इसके पहले, मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति केवल कार्यकारी आदेश द्वारा की जाती थी, जिसमें विपक्ष की कोई भूमिका नहीं होती थी।
दिसंबर 2023 में संसद ने एक नया कानून पारित किया, जिसमें प्रधानमंत्री, प्रधानमंत्री द्वारा नामित एक मंत्री और लोकसभा में विपक्ष के नेता को चयन समिति के सदस्य के रूप में शामिल किया गया।
सुप्रीम कोर्ट ने अपनी पिछली सुनवाई में इस कानून पर कोई तत्काल हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया था, क्योंकि यह नियुक्ति राजीव कुमार के सेवानिवृत्त होने के कारण जरूरी हो गई थी। अगली सुनवाई अगले बुधवार को होगी।