चंडीगढ़, 20 फरवरी:
चंडीगढ़ स्मार्ट सिटी लिमिटेड (CSCL) को 20 मार्च को आधिकारिक रूप से बंद करने का निर्णय लिया गया है, क्योंकि केंद्र सरकार से आगे के लिए कोई वित्तीय सहायता नहीं मिल रही है। इस फैसले के तहत सभी कर्मचारियों को 31 मार्च तक सेवा समाप्ति का नोटिस दिया गया है। इसके अलावा, स्मार्ट सिटी के तहत चल रहे सभी प्रोजेक्ट्स को नगर निगम और प्रशासन को सौंपने की योजना तैयार कर ली गई है। इस निर्णय के साथ, चंडीगढ़ देश का पहला शहर बन गया है, जहां स्मार्ट सिटी लिमिटेड बंद हो रही है।
बोर्ड बैठक में लिया गया फैसला
बुधवार को मुख्य सचिव राजीव वर्मा की अध्यक्षता में बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स की बैठक आयोजित की गई। इस बैठक में स्मार्ट सिटी के तहत चल रही परियोजनाओं, उनके वर्तमान स्टेटस, लंबित कार्यों और CSCL बंद होने के बाद उन्हें किस विभाग को सौंपा जाएगा, इन सभी पहलुओं पर चर्चा की गई।
अधिकारियों के अनुसार, कुल 36 परियोजनाओं पर 853 करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं, जबकि 53 करोड़ रुपये अभी भी परिचालन व्यय के रूप में लंबित हैं। इन परियोजनाओं में—
- सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट: 304 करोड़ रुपये
- ICCC और SCADA प्रोजेक्ट: 334 करोड़ रुपये
- पब्लिक बाइक शेयरिंग सिस्टम: 20 करोड़ रुपये
- स्मार्ट स्कूल प्रोजेक्ट: 9 करोड़ रुपये
- 24 घंटे पानी आपूर्ति परियोजना: 166 करोड़ रुपये
- अन्य सहायक परियोजनाएं: शेष राशि
लंबित परियोजना को 28 फरवरी तक पूरा करने का आदेश
रायपुर कलां में मृत जानवरों के निस्तारण के लिए एक प्लांट बनाया जाना था, जिसकी लागत करीब 2 करोड़ रुपये थी, लेकिन यह अब तक अधूरा है। बैठक में मुख्य सचिव ने निर्देश दिए कि इस परियोजना को 28 फरवरी तक पूरा किया जाए।
इसके साथ ही 20 मार्च से पहले CSCL को बंद करने की अंतिम रिपोर्ट तैयार करने का आदेश भी दिया गया। हालांकि, यदि केंद्र सरकार से वित्तीय सहायता या कोई निर्देश प्राप्त होते हैं, तो उस पर विचार किया जाएगा।
कर्मचारियों की नौकरी पर संकट, मेयर से लगाई गुहार
CSCL में करीब 90 कर्मचारी विभिन्न परियोजनाओं पर कार्यरत हैं, जिन्हें 31 मार्च को नौकरी से निकाले जाने का नोटिस मिला है। इनमें से 44 कर्मचारी 24×7 जल आपूर्ति परियोजना में काम कर रहे हैं।
ये कर्मचारी बुधवार को मेयर हरप्रीत कौर बबला से मिले और अपनी नौकरियां बचाने के लिए निगम में समायोजित करने की मांग की। मेयर ने इस विषय में आयुक्त से चर्चा करने का आश्वासन दिया और कहा कि गुरुवार को इस पर विस्तार से विचार किया जाएगा।
नगर निगम पर पड़ेगा 100 करोड़ रुपये का अतिरिक्त बोझ
स्मार्ट सिटी की ज्यादातर परियोजनाएं नगर निगम के अधीन चली जाएंगी, जिससे इनका रखरखाव और प्रबंधन एक बड़ी चुनौती बन सकता है।
नगर निगम पहले से ही वित्तीय संकट से जूझ रहा है। फिलहाल, स्मार्ट सिटी परियोजनाओं के संचालन और रखरखाव के लिए 53 करोड़ रुपये उपलब्ध हैं, लेकिन 2027 के बाद इन प्रोजेक्ट्स की जिम्मेदारी पूरी तरह नगर निगम पर आ जाएगी, जिससे उस पर 100 करोड़ रुपये का अतिरिक्त वित्तीय बोझ पड़ सकता है।
आयुक्त अमित कुमार ने इस मुद्दे को नगर निगम की बैठक में भी उठाया, जिससे यह स्पष्ट होता है कि इस फैसले का प्रभाव आने वाले वर्षों में प्रशासन पर पड़ेगा।