पंजाब, 27 फरवरी:
एक हालिया रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि अमेरिका जाने की अवैध ‘डंकी’ मार्ग का सहारा लेने वाले लोगों ने एजेंटों को कुल 44.70 करोड़ रुपये का भुगतान किया है। पंजाब सरकार के आंकड़ों के अनुसार, ये अवैध प्रवासी अमेरिका पहुंचने से पहले कम से कम 32 देशों से गुजरते हैं, लेकिन अंततः उन्हें निर्वासन का सामना करना पड़ता है।
अवैध प्रवास का बड़ा नेटवर्क
द इंडियन एक्सप्रेस की एक जांच के मुताबिक, 19 एफआईआर के विश्लेषण से पता चला है कि अवैध प्रवास में शामिल एजेंटों का एक बड़ा नेटवर्क काम कर रहा है, जो चीन, गिनी, केन्या, मिस्र, चेक गणराज्य और बेलारूस जैसे देशों के माध्यम से लोगों को भेजता है। इन एफआईआर में कुल 36 एजेंटों के नाम शामिल हैं, जिनमें से पांच विदेश में रहते हैं, हालांकि उनकी जड़ें पंजाब में हैं, जबकि बाकी पंजाब और हरियाणा के निवासी हैं। इसके अलावा, एक आरोपी मोगा का किसान संघ नेता है, जो कथित तौर पर इमिग्रेशन का धंधा चला रहा था।
धोखाधड़ी और जानलेवा सफर
अधिकतर पीड़ित छोटे कस्बों और गांवों से आते हैं और अमेरिका पहुंचने के लिए तीन महीने से लेकर एक साल तक की कठिन यात्रा करते हैं, जो अक्सर निर्वासन पर समाप्त होती है। रिपोर्ट में बताया गया है कि एजेंट परिवार के सदस्यों से किस्तों में पैसे लेते हैं। कई मामलों में, परिवारों को अतिरिक्त पैसे देने के लिए मजबूर किया गया, अन्यथा एजेंटों ने प्रक्रिया रोकने की धमकी दी।
गुरदासपुर के 36 वर्षीय ट्रक चालक जसपाल सिंह ने स्पेन और जर्मनी में रहने वाले दो पंजाब-निवासी एजेंटों के नाम बताए। उन्होंने दावा किया कि इन एजेंटों ने उनसे 30 लाख रुपये वसूले और कानूनी रूप से अमेरिका भेजने का झांसा दिया, लेकिन बाद में ‘डंकी’ मार्ग से भेज दिया। इसी तरह, अन्य कई लोगों ने 60 लाख रुपये तक चुकाए, लेकिन वे अमेरिका में बसने में नाकाम रहे।
एक मामला मोगा के 41 वर्षीय हरविंदर सिंह का है, जिन्होंने एजेंटों को 42 लाख रुपये दिए। उनकी पहली कोशिश में उन्हें भारत से थाईलैंड और चीन भेजा गया, लेकिन अंततः उन्हें मुंबई लौटना पड़ा। दूसरी कोशिश में वे ब्राजील पहुंचे और फिर कुख्यात डारियन गैप को पार करने का प्रयास किया, जो घने जंगल, नदियों और पहाड़ों से भरा एक खतरनाक मार्ग है, जो दक्षिण अमेरिका को उत्तर अमेरिका से जोड़ता है।
क्रूज और फ्लाइट का झांसा, लेकिन खतरनाक सफर
कई पीड़ितों को लग्जरी क्रूज और हवाई यात्रा का झांसा दिया गया, लेकिन हकीकत में वे मुश्किल भरे पैदल रास्तों और नावों के सहारे सफर करने पर मजबूर हुए। कुछ को अमेरिका की बजाय प्राग या स्पेन भेज दिया गया। एक व्यक्ति ने बताया कि रूस और बेलारूस की सीमा पार करने की कोशिश में उसे तीन दिन रूसी जेल में बिताने पड़े।
हालांकि, कई बार असफल होने के बावजूद, कुछ लोग अंततः अमेरिका पहुंचने में सफल रहे।
निर्वासन और सरकारी कार्रवाई
5 फरवरी से अब तक, अमेरिका से तीन निर्वासन उड़ानों के जरिए 333 भारतीयों को वापस भेजा गया। इनमें से 126 पंजाब, 110 हरियाणा और 74 गुजरात के निवासी थे।
बढ़ते संकट को देखते हुए, पंजाब पुलिस ने मानव तस्करी के इस नेटवर्क की जांच के लिए एक चार-सदस्यीय विशेष जांच दल (SIT) का गठन किया है। एडीजीपी (एनआरआई मामलों) पीके सिन्हा की अगुवाई में यह टीम साइबर क्राइम इकाइयों, वित्तीय निकायों और केंद्रीय एजेंसियों के साथ मिलकर इस गिरोह का भंडाफोड़ करने में जुटी है।
पुलिस महानिदेशक (DGP) पंजाब, गौरव यादव ने आश्वासन दिया कि राज्य पुलिस इस धोखाधड़ी को खत्म करने और नागरिकों को इस शोषण से बचाने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है।