चंडीगढ़, 25 फरवरी:
पंजाब विधानसभा में आज पार्टी फंड के नाम पर धन उगाही के आरोपों को लेकर जबरदस्त हंगामा हुआ। यह विवाद राजनीतिक तूफान का रूप लेता जा रहा है। विपक्ष के नेता प्रताप सिंह बाजवा ने आरोप लगाया कि पावरकॉम से जुड़े एक संगठन ने जूनियर अधिकारियों से ₹50,000 की मांग की थी। इस मामले में शिकायत के बाद विजिलेंस विभाग ने केस दर्ज कर लिया है। बाजवा ने इस मामले की न्यायिक जांच या हाउस कमेटी के जरिए विस्तृत जांच कराने की मांग की।
सत्ता पक्ष का पलटवार: आरोपों पर कड़ा जवाब
इन आरोपों पर सरकार ने तीखी प्रतिक्रिया दी। पंजाब के बिजली मंत्री ने आरोपों को खारिज करते हुए बाजवा पर पलटवार किया और उन्हें उनके कार्यकाल के दौरान हुए घोटालों की याद दिलाई। उन्होंने कहा कि जब बाजवा निर्माण मंत्री थे, तब “टारकोल घोटाले” में 18 लोगों के नाम शामिल थे, लेकिन आज तक कोई कार्रवाई नहीं हुई।
इस गरमागरम बहस में सत्ता पक्ष के वरिष्ठ नेता अमन अरोड़ा भी कूद पड़े। उन्होंने विपक्ष को चुनौती दी कि वे किसी भी तरह की जांच करवा सकते हैं। उन्होंने यह भी दावा किया कि सरकार पूरी तरह पारदर्शिता और जवाबदेही के लिए तैयार है।
पैसों के लेन-देन का खुलासा
अरोड़ा ने आगे बताया कि बिजली मंत्री के कार्यालय में पहले ही दो ऐसे मामले सामने आ चुके हैं, जहां कथित तौर पर पैसे के लेन-देन की बात हुई थी। उन्होंने कहा कि एक व्यापारी ने बताया कि अमृतसर में एक बिचौलिए ने ₹7 लाख की रिश्वत मांगी थी। उन्होंने कहा कि ऐसी घटनाएं राजनीतिक नेताओं की छवि को नुकसान पहुंचा रही हैं और इन्हें रोकने के लिए सख्त कार्रवाई की जरूरत है।
विपक्ष का दबाव, स्पीकर की सुलह की कोशिश
प्रताप सिंह बाजवा अपनी मांग पर अड़े रहे और इस मामले की स्वतंत्र एजेंसी से निष्पक्ष जांच कराने की बात दोहराई। दूसरी ओर, सत्ता पक्ष ने कहा कि विपक्ष चाहे तो हाउस कमेटी या जांच आयोग के माध्यम से जांच करवा सकता है।
इस विवाद को खत्म करने की कोशिश में विधानसभा अध्यक्ष कुलतार सिंह संधवा ने कहा कि सरकार के कामकाज की निगरानी के लिए पहले से ही कई समितियां बनी हुई हैं। उन्होंने विपक्ष को सुझाव दिया कि वे इस मुद्दे को “पिटीशन कमेटी” के सामने रख सकते हैं।
इस विवाद ने पंजाब की राजनीति में भूचाल ला दिया है। अब बड़ा सवाल यह है कि क्या इस मामले की निष्पक्ष जांच होगी या यह सिर्फ एक और राजनीतिक बहस बनकर रह जाएगा? केवल समय ही बताएगा।