चंडीगढ़, 12 फरवरी:
केंद्रीय भूजल बोर्ड (CGWB) की वार्षिक भूजल गुणवत्ता रिपोर्ट-2024 ने पंजाब और हरियाणा में जल प्रदूषण को लेकर गंभीर चिंता जताई है। रिपोर्ट में बताया गया है कि इन राज्यों के कई जिलों में यूरेनियम, नाइट्रेट, आर्सेनिक, क्लोराइड और फ्लोराइड की मात्रा सुरक्षित सीमा से कहीं ज्यादा पाई गई है, जिससे पीने का पानी खतरनाक हो गया है।
यूरेनियम का बढ़ता जहर
रिपोर्ट के अनुसार, पंजाब के 20 और हरियाणा के 16 जिलों में भूजल में यूरेनियम की मात्रा 30 पार्ट्स पर बिलियन (ppb) की सुरक्षित सीमा से अधिक पाई गई है। 2019 में यह संख्या पंजाब में 17 और हरियाणा में 18 थी, यानी स्थिति और खराब हो गई है। भूजल में अधिक यूरेनियम होने से किडनी की बीमारियां और मूत्र मार्ग का कैंसर होने का खतरा बढ़ जाता है।
इससे पहले, पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने भी भूजल की जांच के आदेश दिए थे ताकि यूरेनियम समेत अन्य खतरनाक तत्वों के असर का आकलन किया जा सके।
कृषि और जल प्रदूषण का संबंध
रिपोर्ट के अनुसार, भूजल में यूरेनियम का बढ़ता स्तर मुख्य रूप से कृषि भूमि से रिसाव (leaching) और रासायनिक उर्वरकों के अत्यधिक उपयोग के कारण हो रहा है। कई प्रभावित जिले अति-शोषित, गंभीर और अर्ध-गंभीर भूजल संकट वाले क्षेत्रों में आते हैं। IIT-मंडी के एक अध्ययन का हवाला देते हुए, राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) ने भी इस बात को स्वीकार किया है कि पंजाब में कृषि अपवाह (agricultural runoff) भूजल प्रदूषण की एक प्रमुख वजह है।
नाइट्रेट और आर्सेनिक की खतरनाक मात्रा
यूरेनियम के अलावा, रिपोर्ट में भूजल में नाइट्रेट की अधिकता पर भी चिंता जताई गई है। हरियाणा में 14.56% और पंजाब में 12.58% नमूनों में नाइट्रेट की मात्रा 45 मिलीग्राम प्रति लीटर की सुरक्षित सीमा से अधिक पाई गई। पीने के पानी में अधिक नाइट्रेट से नवजात शिशुओं को ब्लू बेबी सिंड्रोम होने का खतरा रहता है।
इसके अलावा, पंजाब के 12 और हरियाणा के 5 जिलों में भूजल में आर्सेनिक का स्तर 10 ppb की सुरक्षित सीमा से अधिक पाया गया है। लंबे समय तक आर्सेनिक युक्त पानी पीने से त्वचा संबंधी बीमारियां और कैंसर जैसी गंभीर समस्याएं हो सकती हैं।
भूजल में बढ़ते प्रदूषण को देखते हुए, सरकार को तुरंत कदम उठाने की जरूरत है ताकि लोगों को सुरक्षित और शुद्ध पेयजल मिल सके।