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    पंजाब पर बढ़ता कर्ज का संकट: केंद्र से फंड रुकने के कारण सरकार को 28 हजार करोड़ का नया कर्ज लेना पड़ा

    पंजाब पर बढ़ता कर्ज का संकट: केंद्र से फंड रुकने के कारण सरकार को 28 हजार करोड़ का नया कर्ज लेना पड़ा

    पंजाब, 29 जनवरी:

    पंजाब के आर्थिक संकट का सामना करते हुए सरकार के सामने सबसे बड़ी चुनौती यह है कि राज्य पर अब तक 3.65 लाख करोड़ रुपये का कर्ज चढ़ चुका है। इस भारी कर्ज का बोझ हटाना राज्य की आर्थिक स्थिति को सुधारने के लिए बेहद आवश्यक हो गया है। केंद्र सरकार द्वारा समय-समय पर राज्य को दिए जाने वाले फंड रोकने के कारण पंजाब की सरकार को मजबूरन कर्ज पर निर्भर होना पड़ा है।

    वित्तीय विभाग के आंकड़ों के अनुसार, 2024-25 के वित्तीय वर्ष के दौरान अब तक पंजाब सरकार ने 28 हजार करोड़ रुपये का कर्ज लिया है। जबकि राज्य सरकार को इस साल कुल 30,464 करोड़ रुपये तक कर्ज लेने की अनुमति मिली है।

    अभी फंड की कमी के चलते जनवरी से मार्च 2025 तक सरकार को सिर्फ 2,385 करोड़ रुपये के अतिरिक्त कर्ज पर निर्भर रहना पड़ेगा। इसके साथ ही राज्य सरकार पर बिजली सब्सिडी का भी बड़ा बोझ है, जिससे हर साल 20 से 22 हजार करोड़ रुपये की राशि सरकार को भुगतान करनी पड़ रही है।

    पंजाब के कर्ज की स्थिति लगातार बढ़ती जा रही है। 2019-20 में राज्य पर कर्ज की राशि 2.29 लाख करोड़ रुपये थी, जो अब बढ़कर 3.65 लाख करोड़ रुपये हो गई है। कर्ज के इस जाल से पंजाब को बाहर निकालने के लिए सरकार ने वित्तीय सलाहकार नियुक्त किए हैं। इसके बावजूद, सरकार को कर्ज का सहारा लेना पड़ रहा है।

    केंद्र सरकार ने पंजाब के लिए 10 हजार करोड़ रुपये के विभिन्न फंड रोक दिए हैं, जिनमें नेशनल हेल्थ मिशन, आयुष्मान भारत योजना, रूरल डेवलपमेंट फंड और मंडी बोर्ड के फंड शामिल हैं। इसके अलावा, अन्य फंड भी रुक गए हैं, जिससे राज्य की वित्तीय स्थिति पर और दबाव बढ़ रहा है।

    इस स्थिति में, पंजाब सरकार ने कर्ज पर किए गए ब्याज का भुगतान भी बढ़ा दिया है। 2024-25 में अब तक 15,815.56 करोड़ रुपये का ब्याज सरकार द्वारा चुकाया गया है। 2023-24 में सरकार ने कर्ज के ब्याज के तौर पर 23,900 करोड़ रुपये का भुगतान किया था।

    वित्तीय विभाग के आंकड़ों के मुताबिक, राज्य सरकार की राजस्व प्राप्तियां लक्ष्य के मुकाबले कम रही हैं, क्योंकि 63.8 प्रतिशत लक्ष्य ही पूरा हो पाया है। इसके अलावा, पूंजीगत व्यय में भी वृद्धि हुई है, लेकिन 56.92 प्रतिशत लक्ष्य ही पूरा हो पाया है।

    पिछले वर्षों में बढ़ा कर्ज

    वित्तीय वर्ष कर्ज (करोड़ों में)
    2019-20 ₹2,29,354
    2020-21 ₹2,49,673
    2021-22 ₹2,61,281
    2022-23 ₹2,93,729
    2023-24 ₹3,23,135
    2024-25 ₹3,53,600

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