संगरूर की पुरानी कैमिकल फैक्ट्री के मैदान में आयोजित एक विशाल निरंकारी समागम में सतगुरु माता सुदीक्षा जी महाराज ने श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए कहा कि इंसान को जो जीवन प्राप्त हुआ है, उसका मूल उद्देश्य परमात्मा को जानना और उससे जुड़ना है। उन्होंने समझाया कि हम अक्सर सुनते हैं कि ईश्वर एक है। जब कोई व्यक्ति सतगुरु की कृपा से इस अद्वितीय सत्य को जान लेता है, तो जीवन की चुनौतियां और उतार-चढ़ाव उसे विचलित नहीं कर पाते।
सतगुरु माता जी ने कहा कि ऐसा इंसान हमेशा प्रभु की मर्जी को स्वीकार करता है और किसी भी कमी या परेशानी के लिए परमात्मा को दोष नहीं देता। वह सभी के साथ प्रेम, सहनशीलता, और भाईचारे का व्यवहार करता है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि हमें यह विचार करना चाहिए कि हमारा संग किसका होना चाहिए—परमात्मा का या अहंकार का। अहंकार से भरा जीवन परमात्मा को स्वीकार्य नहीं है। हमें न केवल ईश्वर से प्रेम करना चाहिए, बल्कि उसके बनाए सभी इंसानों के प्रति भी प्रेम और करुणा का भाव रखना चाहिए।
सतगुरु माता जी ने माफ करने की महत्ता पर भी बल दिया। उन्होंने कहा कि यदि हमसे कोई बड़ी गलती हो जाती है, तो हम अपेक्षा करते हैं कि दूसरे लोग उसे नजरअंदाज करें। इसी तरह, हमें भी दूसरों की गलतियों को माफ करने का जज्बा रखना चाहिए। हर परिस्थिति में शिकवे-शिकायत करने के बजाय, ईश्वर का आभार व्यक्त करना चाहिए।
इस अवसर पर, निरंकारी राजपिता रमित जी ने भी प्रवचन देते हुए कहा कि जो व्यक्ति ईश्वर को पहचान लेता है, उसका जीवन धन्य हो जाता है। उन्होंने उदाहरण दिया कि जैसे फूल अपनी खुशबू से सभी को आनंदित करते हैं, वैसे ही एक भक्त का स्वभाव भी सभी के साथ प्रेम और सौहार्द बांटने का होना चाहिए। सतगुरु, सीमित इंसानी अस्तित्व को असीम निरंकार से जोड़कर उसे व्यापक बना देते हैं।
समागम में संगरूर जोन के इंचार्ज डॉ. बी.वी. लूथरा ने सतगुरु माता सुदीक्षा जी और राजपिता रमित जी का स्वागत किया और उनके आगमन के लिए आभार प्रकट किया। इसके अलावा, संगरूर शाखा के संयोजक डॉ. के.सी. गोयल ने समागम की सफलता में योगदान देने वाले सभी स्थानीय संयोजकों, मुखियों, सेवादल के सदस्यों, धार्मिक और सामाजिक संगठनों, व्यापारिक एवं राजनीतिक प्रतिष्ठानों, नगर परिषद, जिला प्रशासन, और पुलिस प्रशासन के प्रति आभार व्यक्त किया।
इस समागम ने यह संदेश दिया कि ईश्वर से जुड़ाव और प्रेम के जरिए ही जीवन में शांति और संतोष पाया जा सकता है।