सांस्कृतिक और आध्यात्मिक रस के दिव्य रूप – 77वें वार्षिक निर्कारी संत समागम का शानदार आयोजन 16 से 18 नवम्बर तक संत निर्कारी आध्यात्मिक स्थल, समालखा (हरियाणा) में सतगुरु माता सुधीक्षा जी महाराज और आदरणीय निर्कारी राजपिता रमित जी की पावन छत्रछाया में होने जा रहा है, जिसकी तैयारियाँ अंतिम चरण में हैं। निश्चित तौर पर इस दिव्य संत समागम में सभी संतों को हर साल की तरह इस साल भी ज्ञान, प्रेम और भक्ति का अनूठा मिलन प्राप्त होगा।
याद रहे कि दुनिया भर के सभी श्रद्धालु इस भक्ति महोत्सव की उत्सुकता से इंतजार करते हैं, जिसमें विभिन्न संस्कृतियों और सभ्यताओं का अद्भुत मिश्रण रंग-बिरंगे छटा के माध्यम से एकता का अनूठा चित्र प्रस्तुत करता है, और विश्व-भाइचारे की मजबूत भावना को दर्शाता है। दिव्यता के इस अनूठे कार्यक्रम में लाखों की संख्या में श्रद्धालु उपस्थित हो कर सतगुरु के दिव्य दर्शन और अमूल्य प्रवचनों का लाभ लेंगे।
इस पावन मौके की तैयारियाँ श्रद्धालुओं द्वारा पूरे समर्पण और जोश के साथ की जा रही हैं। समागम पंडाल को विशाल रूप से सजाया गया है, जिसमें सभी भक्तों के लिए बैठने की बेहतर व्यवस्था की गई है। समागम परिसर में बड़े-बड़े एल.ई.डी. स्क्रीन की व्यवस्था की गई है, ताकि मंच पर हो रहे हर कार्यक्रम को हजारों की संख्या में उपस्थित दर्शक स्पष्ट रूप से देख सकें।
समागम की तैयारियों में हर साल के शानदार गेट का निर्माण मुंबई की गोपी एंड पार्टी की टीम द्वारा किया जाता है, जो उनकी कला और समर्पण को प्रदर्शित करता है। इस आकर्षक रूप को देखकर हजारों श्रद्धालु प्रसन्न महसूस करते हैं।
सारे समागम परिसर को चार हिस्सों में बांटा गया है – A, B, C और D ग्राउंड्स में। जिसमें ‘A’ हिस्से में मुख्य सत्संग स्थल, निर्कारी प्रदर्शनी, और संत निर्कारी मंडल के प्रशासनिक दफ्तर, प्रकाशन, कैंटीन, सेवादल रैली स्थल और पार्किंग आदि स्थित हैं। अन्य तीन हिस्सों में श्रद्धालुओं के लिए आवासीय टेंट की व्यवस्था की गई है, जिसमें पानी, बिजली, सीवरेज जैसी मूलभूत सुविधाएँ उपलब्ध हैं। समागम में सफाई का भी खास ध्यान रखा जा रहा है। लंगर की व्यवस्था और वितरण का भी उचित प्रबंध किया गया है, जिसमें निर्कारी सेवादल दिन-रात सेवा करते हैं।
निर्कारी मिशन के सचिव श्री योगिंदर सुखीजा ने बताया कि सभी व्यवस्थाएँ सतगुरु के आशीर्वाद से की जा रही हैं क्योंकि सतगुरु माता जी हमेशा चाहती हैं कि समागम में आने वाले हर श्रद्धालु को कोई असुविधा न हो। निश्चित रूप से सतगुरु की दिव्य शिक्षाओं का यह सुंदर परिणाम है कि इस पवित्र संत समागम में हर कोने में केवल प्रेम, सद्भावना और एकता का संदेश प्रकट हो रहा है। मानवता के इस महान समागम में सभी भाई-बहनों का स्वागत है।